ज़िंदगी के  कुछ पलों को 
आराम भी कर लेने दो 
काम बहुत हो लिया 
इन्हें आलस में पड़ने दो 
जो ये पल बैठे तो 
तुरंत इसे लिटा दो 
रजाई कम्बल ओढ़ा
बोरसी भी जला दो 
काम को समझाना 
देखो पास न जाना 
पल  आलस में डूबा है 
इसे न जगाना
आनंद को बताना 
पास में है जाना 
चुपके से सपने में 
पहुँच हिंडोला डुलाना 
हौले से अँगड़ाई ले 
जब आँखें ये खोलेगा 
ताजगी की खुमारी में 
खुद को जी लेगा 
आगे जो नया पल आएगा 
हाथ बाँधे, मुस्कुराता, बतलाएगा 
खड़ा हूँ मैं तैयार, आएँ 
कोई काम हो बतलाएँ 
पल्लवी गोयल
चित्र साभार गूगल  



