ज़िंदगी के कुछ पलों को
आराम भी कर लेने दो
काम बहुत हो लिया
इन्हें आलस में पड़ने दो
जो ये पल बैठे तो
तुरंत इसे लिटा दो
रजाई कम्बल ओढ़ा
बोरसी भी जला दो
काम को समझाना
देखो पास न जाना
पल आलस में डूबा है
इसे न जगाना
आनंद को बताना
पास में है जाना
चुपके से सपने में
पहुँच हिंडोला डुलाना
हौले से अँगड़ाई ले
जब आँखें ये खोलेगा
ताजगी की खुमारी में
खुद को जी लेगा
आगे जो नया पल आएगा
हाथ बाँधे, मुस्कुराता, बतलाएगा
खड़ा हूँ मैं तैयार, आएँ
कोई काम हो बतलाएँ
पल्लवी गोयल
चित्र साभार गूगल
वाह बहुत सुन्दर...
जवाब देंहटाएंज़िंदगी के कुछ पलों को
आराम भी कर लेने दो 👌👌👌
धन्यवाद सुधा मैम...
हटाएंसुंदर!
जवाब देंहटाएंdhanyawad meena ji
हटाएंआपकी लिखी रचना "पांच लिंकों का आनन्द में" शनिवार 24 नवम्बर 2018 को लिंक की जाएगी ....http://halchalwith5links.blogspot.in पर आप भी आइएगा ... धन्यवाद!
जवाब देंहटाएंआदरणीय,
हटाएंआपके द्वारा रचना को चर्चा के लिए चुना जाना सदैव प्रोत्साहित करता
है।देरी के लिए क्षमा प्रार्थी हूँ ।
सादर आभार