7607529597598172 हिंदी पल्लवी: ताज़गी
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रविवार, 25 दिसंबर 2016

इस पल को आराम करने दो

 ज़िंदगी के  कुछ पलों को 
आराम भी कर लेने दो 

काम बहुत हो लिया 
इन्हें आलस में पड़ने दो 

जो ये पल बैठे तो 
तुरंत इसे लिटा दो 

रजाई कम्बल ओढ़ा
बोरसी भी जला दो 

काम को समझाना 
देखो पास न जाना 

पल  आलस में डूबा है 
इसे न जगाना

आनंद को बताना 
पास में है जाना 

चुपके से सपने में 
पहुँच हिंडोला डुलाना 

हौले से अँगड़ाई ले 
जब आँखें ये खोलेगा 

ताजगी की खुमारी में 
खुद को जी लेगा 

आगे जो नया पल आएगा 
हाथ बाँधे, मुस्कुराता, बतलाएगा 

खड़ा हूँ मैं तैयार, आएँ 
कोई काम हो बतलाएँ 

पल्लवी गोयल
चित्र साभार गूगल  

शनिवार, 25 अप्रैल 2015

फूल का एक दिन

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छोटी सी  एक  बगिया में,
एक  सुंदर  फूल  खिला  था।
धीमी  तेज़  हवा  के  झोंके  में
अलमस्त  झूला  झूल  रहा था।
सूरज की  पहली  किरणों से
जब  अंगड़ाई  ले  वह  जगा
छोटे  बड़े  हर  पल को,
वह  मज़ा ले- लेकर  जिया।
जब  बारिश की  चंचल  बूंदें
तन  को  उसके छू-  छूकर  गईं।
चौंक  - चौंक कर  देख  उधर,
कंपकंपाया, इठलाया था।
सारा दिन  बीत  गया था,
करते सारी  अठखेलियां।
इंतजार  था  अब  उसको,
अभी आती  होंगी  टोलियाँ।
सोनू, गोलू , रीना, सीमा  की ,
लगेंगी  हर्षोल्लास  की  बोलियां।
उन्हें  देखकर  वह  चिल्लाया
आओ, झूमो, नाचो, गाओ,
खेलो, कूदो, मुझे  दोस्त  बना...
आह। अभी  बात  न होने  पाई  पूरी
अस्तित्व  छोड़  चुका था  जड़।
जो  हाथ में  था, उस  नन्हे  दोस्त के।