7607529597598172 हिंदी पल्लवी: मार्च 2016

गुरुवार, 31 मार्च 2016

जन्मदिन


  उम्र में  एक  और  वर्ष  बढ़ा
  मतलब  इसका
  जीवन  से  एक  वर्ष  घटा !

  सच क्या  यही है ? 
  हर एक  जन्मदिवस  का ? 
  खुशी  है  फिर  कैसी ?

  हम  हर  वर्ष   क्यों
  नाचते, गाते  और खाते  हैं ?

  क्यों  नहीं  कहीं  गहरे गम
  में डूब  जाते हैं 

  सोचा था  बहुत  पहले ,
  इस तर्क के  विषय में।

  पाया, अनुभवों के  पिटारे का
  एक मनका  हर  साल
  जीवन माला  में
  पिरोया  जाता  है 

  बढती  माला  को
  देख ही, हम  हर  वर्ष
  यह  खुशी दोहराते हैं।