उम्र में एक और वर्ष बढ़ा
मतलब इसका
जीवन से एक वर्ष घटा !
सच क्या यही है ?
हर एक जन्मदिवस का ?
खुशी है फिर कैसी ?
हम हर वर्ष क्यों
नाचते, गाते और खाते हैं ?
नाचते, गाते और खाते हैं ?
क्यों नहीं कहीं गहरे गम
में डूब जाते हैं ।
सोचा था बहुत पहले ,
इस तर्क के विषय में।
इस तर्क के विषय में।
पाया, अनुभवों के पिटारे का
एक मनका हर साल
जीवन माला में
पिरोया जाता है ।
एक मनका हर साल
जीवन माला में
पिरोया जाता है ।
बढती माला को
देख ही, हम हर वर्ष
यह खुशी दोहराते हैं।