7607529597598172 हिंदी पल्लवी: आगे पूर्वजों का इतिहास हमें रचना है

रविवार, 13 नवंबर 2016

आगे पूर्वजों का इतिहास हमें रचना है


अभी क्या हम समाजवाद की
पगडंडी से नहीं गुजर रहे हैं
मोटर गाड़ी से उतरते  सेठ और ड्राइवर 
दोनों एक ही पंक्ति में खड़े हैं 
धूप  चढ़ी है सर पर तो क्या
 डांडी मार्च के समय वह नहीं चढ़ी थी
देश को स्वतन्त्र करने की राह में
पूर्वजों ने  सैकड़ों  कुर्बानियां नहीं दी थीं
नहीं कहती यह ठीक है
लगातार आती कुछ अप्रिय  ख़बरें
करुणा से चिल्लाते हो 
कि  एक नवजात शिशु मरा 
आवाज तो तुम्हें ये लगाना था 
नहीं दोस्त तुम्हें मरने नहीं देंगे 
हम एक अरब देशवासी हैं 
तुम्हारी रक्षा हम केवल
 एक रुपये से करेंगे
कालाबाजारी और आतंकवाद की सड़ान्ध में 
बजबजाते देश को बचाना इतना आसान भी नहीं 
बरसों बरस की बिछाई गंदगी है 
स्वच्छता अभियान की तैयारी 
सडकों से उठा कर घरों में उतर आई है 
गिरते को ऊपर उठाने के लिए 
खुद भी झुकना पड़ता है
एक तो हिम्मत से झुकने निकल पड़ा है 
निश्चय तुम्हारा है तुम्हें  क्या करना है  
क्या समझते हो की बदलाव है इतना आसान 
बदलाव की श्रृंखला में सूरज को भी 
अपनी किरणें लपेटना पड़ता है 
चाँद को भी चाँदनी समेटना पड़ता है 
तब कहीं आते है दिन और रात 
इस अंधकार में दूर दूर तक 
सोने की  चिड़िया के 
पंख भी नजर नहीं आते 
उसे देखने के लिए देश को
 एक बार पूरा पलटना होगा। 
हमारे पूर्वज हमें स्वतन्त्र  देश दे गए 
आगे पूर्वजों का इतिहास हमें रचना है। 

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