एक थी मेरी प्यारी बुआ
हरदम खुश -खुश रहती थीं ।
झूम झूमकर गाती थी ।
गा -गा कर झूमती थीं।
जब भी उनके पास मैं जाती
खुश हो हो जाया करती थी ।
प्यारी सी वह बुआ मेरी
हरदम खुश ही रहती थीं।
जब भी गाया करती वो
मैं भी गा- गा उठती थी।
झूमते सुर ताल में उनके
ताली मार के हँसती थी।
सखी थीं वह सबसे पहली
जबसे होश सँभाला था।
उनका तो हर एक अपना,
अंदाज़ बहुत निराला था।
आज भी उनको याद जब
करती , मैं धीरे से हँस देती हूँ ।
उनकी यादों की परछाई
दिल में मेरे बसती है ।
पल्लवी गोयल
प्यारी बुआ जी की याद में समर्पित
(चित्र गूगल से साभार )