मैंने प्यार के जो बीज
बोए हैं तुम्हारे मनों में ,
उन्हें तुम नितप्रति
सींचो ,सँवारो ,सहेजो।
शाखाओं को बढ़ने दो
ऊपर आकाश तक,
धरती के अंतिम सिरे तक
उस क्षितिज तक।
दया, क्षमा की
कोमल अमरबेलों को,
फलने फूलने दो
इस अनंत वृक्ष पर।
कटुता,घृणा की कुल्हाड़ी से बच
फलने- फूलने का आशीर्वाद है इसे,
काटने पर चहुँदिश फैलने का ,
रक्तबीज के अंश का वरदान है इसे
विश्व की आवश्यकता है यह ,
तुम्हारा दृढ संबल है यह,
तूफ़ानों का सामना करना है तुम्हें ,
इसकी छाया तले बैठकर।
द्वेष अंधकार समाप्त कर
प्रेम प्रकाश विश्व में फैला
स्थिरता की प्रतिमूर्ति ,
बोधिसत्व बनो तुम।
शिक्षक दिवस सप्ताह पर
प्रिय छात्रों को आशीर्वाद सहित
पल्लवी गोयल
चित्र साभार गूगल