आतिशबाजियों के सैकड़ों
हजारों लाखों जगमगाते
सितारों के बीच
नज़र आया कहीं दूर
एक छोटा ,अँधेरे से लड़ता
आकाश का सितारा
क्या सचमुच उसका
आकार था इतना छोटा
जितना नजर आता था
क्या सचमुच था वह
इतना मज़बूर कि उसे नजर
में आना भी नामंजूर था
क्या वह था इतना बेबस
कि अँधेरे में अकेला छोड़ते
ही वह कहीं खो जाता
क्या इन क्षणभंगुर लुभावने
सितारों से सैकङो हजारों लाखों
गुना बेहतर नहीं था उसका अस्तित्व
सच तो यही है हक़ीक़त भी यूँ ही
पर्दानशीं बन हलकी झलक को ही
पूरा सच समझने को मजबूर करती है
चित्र साभार गूगल
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें