7607529597598172 हिंदी पल्लवी: दहलीज

शनिवार, 9 जून 2018

दहलीज



हर  दहलीज है कहानी
अपने इतिहास की
कहीं मर्यादा के हास की
कहीं गर्वीले  अट्टहास की
कुछ शर्मीली चूड़ियों की
कुछ हठीली रणभेरियों की
कई दपदपाते झूमरों की
कई अधजले कमरों की

हर  दहलीज बाँधती है
अपने संस्कार से
अपने निवासियों को
खुद वहीं पड़ी
रह कर भी
घूमती है मर्यादा
 बन ,आप  तक

घर की दहलीज
के अंदर बहू ने
जब घूँघट में मर्यादा
कंगना में संस्कार,
पायल में नियम  टाँके
वह  उसकी इज्जत बन गई।
जो विपरीत दिशा को बढ़ी
घर की रुसवाई  रच गई ।

दहलीज है सीमा
की वह परिभाषा
जिसके एक तरफ़
सीमा की रेखा
और दूसरी तरफ है
सीमा का अंत ।

पल्लवी गोयल


















11 टिप्‍पणियां:

  1. जी नमस्ते,
    आपकी लिखी रचना हमारे सोमवारीय विशेषांक ११ जून २०१८ के लिए साझा की गयी है
    पांच लिंकों का आनंद पर...
    आप भी सादर आमंत्रित हैं...धन्यवाद।

    जवाब देंहटाएं
    उत्तर
    1. प्रिय श्वेता जी ,
      नमस्कार । रचना को स्थान देने के लिए हृदय से आभार ।कुछ प्रतिकूल परिस्थितियों के कारण लम्बे समय तक ब्लॉग पर आना नहीं हो सका।।विशेष रूप से हमकदम के कदमों की चाप सुनने व कदमताल मिलाने से वंचित रही जिसे याद किया । धन्यवाद ।

      सादर ।

      हटाएं
  2. प्रिय श्वेता जी ,
    नमस्कार । रचना को स्थान देने के लिए हृदय से आभार ।कुछ प्रतिकूल परिस्थितियों के कारण लम्बे समय तक ब्लॉग पर आना नहीं हो सका।।विशेष रूप से हमकदम के कदमों की चाप सुनने व कदमताल मिलाने से वंचित रही जिसे याद किया । धन्यवाद ।

    सादर ।

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  3. सटीक वर्णन उत्तम रचना पल्लवी जी शुभकामनाएँ

    जवाब देंहटाएं
    उत्तर
    1. ब्लॉग पर आपका स्वागत है सुप्रिया जी । सुंदर प्रतिक्रिया के लिए बहुत बहुत धन्यवाद ।
      सादर ।

      हटाएं
  4. उत्तर
    1. आपकी टिप्पणी लेखन के लिए प्रेरित करती है ।स्नेह बनाए रखिएगा । सादर आभार ।

      हटाएं
  5. वाह वाह , स्त्री के लिए दहलीज़ के क्या क्या अर्थ हैं वाकई आपने कविता में बड़े अच्छे से पिरोया है। दहलीज़ और स्त्री का नाता दांत और रोटी वाला होता है। इधर तो पूण्य उधर तो पाप।
    बहुत सुंदर रचना
    सादर
    अपर्णा बाजपेयी

    जवाब देंहटाएं
    उत्तर
    1. इतनी सुन्दर प्रोत्साहन से परिपूर्ण प्रतिक्रिया के लिए हृदय से आभार अपर्णा जी ।
      सादर ।

      हटाएं