7607529597598172 हिंदी पल्लवी: ईश्वर

बुधवार, 6 मई 2015

ईश्वर



कंकड,  पत्थर, धरती, बादल,

या  हो  नीला  आकाश ।
मुझमें, तुझमें, हवा  और  जल  में,
मिलता है  हरदम  आभास
पशु, पक्षी, कीट पतंगें,
सूर्य, चंद्र  में  भी  है  वास।
धमधम, गुनगुन, झरझर, टपटप,
सभी  हैं  मेरी  आवाज़।
चाहे  कहीं आओ , जाओ,
रहे  हमेशा  मेरा  साथ।
बूझ  सको  तो  बूझ  लो  मुझको,
तुम्हें  किस  नाम से   मेरा अहसास। 

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