अभी - अभी मेरी हुई , जंगल में उससे भेंट,
बड़ी सी पूंछ, पैने पंजे लिए रहा था लेट।
लेटे ही उसने पूछा, अरे हुई क्या बात ?
आज बड़े दिन बाद हुई , तुमसे मुलाकात ।
आओ दो-दो हाथ हो जाए , शतरंज की बाज़ी,
ज़रा आवाज़ लगा देना, कुछ खाने को दे जाए, सिंहनी आजी।
मयूर ज़रा आकर रांभा-सांभा दिखला जाए,
ज़िंदगी भरपूर मजे की, चलो ज़रा जीया जाए।
शतरंज बिछी, बाज़ी लगी, फेंका पासे पर पासा,
अगला पासा उल्टा पड़ गया, पलट गया सब पासा।
मैं था नीचे, वह था ऊपर, गुर्र - गुर्र - गुर्र गुर्राता,
बड़े नुकीले, तीखे, चोखे , दाँत मुझे दिखलाता।
आँख मींचकर, आँख जो खोली,
पलंग था ऊपर, मैं था नीचे, तकिया मेरे ऊपर,
साँस आ गई, दम आ गया, सपना था वह केवल।
सुन्दर प्रस्तुति...
जवाब देंहटाएंधन्यवाद।
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