कौशल्या नंदन को मेरा वंदन,
शत-शत उन्हें प्रणाम।
असुर, निशाचर दुष्ट दलन कर,
ऋषि - मुनियों को दिया विश्राम।
कैकेयी संग दशरथ की
गोद में अपूर्व शोभायमान।
सिंहासन तज फांकी वन - रज
पितृ वचन को दिया सम्मान।
भ्राता को सिंहासन सौंपा,
मातृप्रेम का दिया प्रमाण।
वानर, रिछ , भालू संग रहकर,
प्रकृति प्रेम का दिया ज्ञान।
संग लंका, लंकाधिपति विनष्ट कर,
नष्ट किया , विनाशी का अभिमान।
त्याग दिया प्रिय भार्या को भी ,
राजकुल, राजमर्यादा के नाम।
आदर्शवादी, रघुकुलशिरोमणि, प्रजापालक,
अयोध्यापति श्रीराम है इनका नाम।
ऐसे श्री राम को मेरा वंदन,
शत-शत उन्हें प्रणाम।
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