7607529597598172 हिंदी पल्लवी: फूल का एक दिन

शनिवार, 25 अप्रैल 2015

फूल का एक दिन

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छोटी सी  एक  बगिया में,
एक  सुंदर  फूल  खिला  था।
धीमी  तेज़  हवा  के  झोंके  में
अलमस्त  झूला  झूल  रहा था।
सूरज की  पहली  किरणों से
जब  अंगड़ाई  ले  वह  जगा
छोटे  बड़े  हर  पल को,
वह  मज़ा ले- लेकर  जिया।
जब  बारिश की  चंचल  बूंदें
तन  को  उसके छू-  छूकर  गईं।
चौंक  - चौंक कर  देख  उधर,
कंपकंपाया, इठलाया था।
सारा दिन  बीत  गया था,
करते सारी  अठखेलियां।
इंतजार  था  अब  उसको,
अभी आती  होंगी  टोलियाँ।
सोनू, गोलू , रीना, सीमा  की ,
लगेंगी  हर्षोल्लास  की  बोलियां।
उन्हें  देखकर  वह  चिल्लाया
आओ, झूमो, नाचो, गाओ,
खेलो, कूदो, मुझे  दोस्त  बना...
आह। अभी  बात  न होने  पाई  पूरी
अस्तित्व  छोड़  चुका था  जड़।
जो  हाथ में  था, उस  नन्हे  दोस्त के।


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