7607529597598172 हिंदी पल्लवी: लोमड़ी और अंगूर

सोमवार, 27 अप्रैल 2015

लोमड़ी और अंगूर

जंगल में  थी  प्यारी  बेल,
सुंदर - सुंदर  न्यारी  बेल।
कुछ  हरे, कुछ  पके हुए  से,
अनेक  गुच्छे  रहे थे  खेल।
यकायक  एक  लोमड़ी,
घूम-फिर  कर  आई।
उन्हें  देखकर  अपने  पास,
मन  ही मन  ललचाई।
उन्हें  पाने  को  अपने  हाथ,
एक  लम्बी  कूद  लगाई।
अंगूर  थे  पहुंच  के  ऊपर,
पहुंच  वहां  न  पाई।
किया  प्रयास  अनेक बार,
लगातार,  बारंबार।
हर  प्रयास में  होती  हार,
देख  कहा  मन  ही  मन-
 "अँगूर  खट्टे  हैं।"

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