दिल ने पुकारा
उनको
पुकारता ही
चला गया।
मुख मौन था,
आँखें झुकी हुई।
न देख कर भी
देखता ही रह गया।
जांचा !!परखा!!
जब आँखें और
मुख मौन है ,
आवाज़
कौन लगाता है?
एहसास हुआ !!
उनके आने की
आहट से
रोम -रोम चिल्लाता है!!
२
मसूरी की वादियों में....
सबसे ऊँची पहाड़ी पर खड़ी,
सबसे ऊँची पहाड़ी पर खड़ी,
मैं देख रही थी, उस घाटी को।
आकर्षण घाटी नहीं ,वहाँ उड़ता
एक सफ़ेद पक्षी था।
जो अपने दोनों पंखों को फैलाए
शानदार उड़ान के साथ,
कभी ऊपर ऊंचाई को ,
और कभी गहराई को छूता ।
आकर्षण की तारतम्य स्थिति में,
आँखों के उठते गिरते क्रम में ।
अचानक ही एक एहसास हुआ कि...
मेरा पूरा अस्तित्व हल्का हो गया।
बगल में जा 'उसका 'जोड़ा बन गया !!
३
तेरी गोद में सर रख,
जो आँखें झपकाती हूँ।
अपने चारों तरफ शून्य ,
खुद को तुझमें पाती हूँ माँ ।
४
ऐ मेरे परमात्मा !
नहीं जानती, तू
यहाँ है या वहाँ।
बड़ा सरल, सुगम है तू ,
सहज ही तुझे पाती हूँ
सहज ही तुझे पाती हूँ
मैं चाहती तुझे जहाँ।
५
वह क्षण
जो दिमाग को छूता हुआ
दिल में भी मुस्कुराए।
वह एहसास बन,
कण कण में गीत गाए।
६
जो कलम उठाई ,अपने
एहसासों को पढ़ने के लिए,
बंद आँखों के सामने से
पूरा कारवाँ गुज़र गया।
५
वह क्षण
जो दिमाग को छूता हुआ
दिल में भी मुस्कुराए।
वह एहसास बन,
कण कण में गीत गाए।
६
जो कलम उठाई ,अपने
एहसासों को पढ़ने के लिए,
बंद आँखों के सामने से
पूरा कारवाँ गुज़र गया।
पल्लवी गोयल
जवाब देंहटाएंजो कलम उठाई ,
अपने एहसासों को लिखने के लिए
बंद आँखों के सामने पूरा कारवाँ गुजर गया. अति सुंदर.. 👏 👏
सुंदर प्रतिक्रिया के लिए धन्यवाद सुधा मैम ।
हटाएंतेरी गोद में सर रख,
जवाब देंहटाएंजो आँखें झपकाती हूँ।
अपने चारों तरफ शून्य ,
खुद को तुझमें पाती हूँ माँ ।
बहुत ही सुंदर अभिव्यक्ति, पल्लवी जी।
प्रोत्साहन के लिए ह्रदय से आभार आदरणीय ज्योति जी।
हटाएंबहुत सुंदर रचना , दिल घाटी में उड़ रहे उस पक्षी को जैसे छू कर आगया हो ।
जवाब देंहटाएंसादर
धन्यवाद अपर्णा जी ,आपके इन शब्दों ने मेंरे मन को छू लिया ।आभार ।
हटाएंबहुत ख़ूब ।।.
जवाब देंहटाएंप्रेम प्राकृति अहसास और ढेरों रंगों से सजी छोटी छोटी कृतियों ने दिल को छू लिया
बहुत लाजवाब ..।
आदरणीय दिगम्बर जी,
हटाएंआपकी अनमोल प्रतिक्रिया सदैव मुझे प्रोत्साहित करती हैं
बहुत आभारी हूँ ।
सादर ।
अपने चारों तरफ शून्य ,
जवाब देंहटाएंखुद को तुझमें पाती हूँ माँ ।
...........बहुत ही सुंदर पल्लवी जी।
बहुत बहुत धन्यवाद संजय जी ।
हटाएंमहोदय
जवाब देंहटाएंसादर आभार ।