7607529597598172 हिंदी पल्लवी: ख्वाहिशों का क्षितिज

शनिवार, 10 अगस्त 2019

ख्वाहिशों का क्षितिज


जिंदगी में ख्वाहिशों का कोई अंत नहीं।
एक पूरी करते दूसरी जन्म लेती वहीं।

पशोपेश में हूं कि चुनूँ वह कि यही।
होड़ में तो लगती सभी दूसरे पर चढ़ो

दिल की सुनो तो रास्ता पुराना वही।
दिमाग की हर इक बार एक राह नयी।

हृदय गहराई में उतरकर चुन लाता कोई।
मन आकाश के तारे चुन-चुन लाता कई।

अब तू ही बता क्या कोई रास्ता है ऐसा भी।
जो क्षितिज को छूकर आ सकता कभी।

पल्लवी गोयल
चित्र गूगल से साभार 

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