7607529597598172 हिंदी पल्लवी: चिराग तले अँधेरा

शनिवार, 7 नवंबर 2015

चिराग तले अँधेरा


धूम धूम जलती 
रोशनी के तले 
प्रकाशित थे 
कुछ बुझते चेहरे

जगमगाती उजली
 रोशनी  के बीच
बुझते बुझते से 
दो दीयों  के जोड़े

खुशियाँ  बिखराते,
 हाथ नचाते  ,
झूम कर गाते 
समूहों के बीच थे
 कुछ खोजते चेहरे 

विज्ञापित साड़ियों ,
महकती खुशियों , 
विदेशी टाइयों 
के बीच थी 
कुछ लुगड़ियां 
मुसी धोतियाँ 
और निक्करें 

छोटे सवार थे घोड़ी पर 
उनपर सवार सेहरा था 
छोटा कहार नंगे पाँव 
उस पर सवार बक्सा था 

सेहरा और चेहरा क्या 
घोड़ी के पाँव तले उजियारा था 
बक्से के ऊपर उजाला 
तले भविष्य अँधेरा , धुंधला था

कुछ सवाल पूछता सा 
लगता था ज़माने से 
न शिकायत थी चेहरे 
पर, न बल माथे पर

उम्र है दोनों की एक 
पर क्या गुनाह मेरा था  
                             पल्लवी गोयल 



  

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