7607529597598172 हिंदी पल्लवी: विचार

रविवार, 1 नवंबर 2015

विचार





विचारों  की भी अजब कहानी होती है
विचारों  की दुनिया कुछ पहचानी
कुछ अनजानी सी होती है

कभी पहुंचते परी लोक तो
कभी पहुंचते प्रिय आँचल में
कभी चन्द्र की ऊँचाई पर
कभी पाताल  की गहराई तक

चंद्रयान यात्री से पहले
विचार वहाँ  पहुंचा था
विचार ही है  वह गोताखोर
जो आत्मसागर में डुबकी लगाता

विचारों  ने ही निराकार 
को साकार बनाया 
इसी  छाते ने सद्गुण  के पास
और दुर्गुण  से दूर रहना सिखाया 

विचार ही हैं जिन्होंने 
रोगी को यमराज तक 
डॉक्टर को आँत तक 
कवि को चाँद तक 

नर को शक्ति तक
सैनिक  को मैदान तक 
जेहादी को आत्मदाह तक  
पहुंचने  का रास्ता दिखाया 

विचार मंथन ही
दुर्गुणों की छाछ  दूर फेंक
इन्सान को इन्सान   बनाता   
विचार  ही दिन के उजाले 
रात के अँधेरे का अंतर बताता  

इसकी ऊर्जा क्या न
पहुंची छात्र तक
जिसकी तेजी ने पहुंचाया 
रॉकेट यान को आकाश तक

ये ही तो थे  
जिसने समय समय पर  
तेरा साथ दिया 
वे यही है 
जिन्होंने तुझे पथभ्रष्ट  किया  

तू अपने आप को क्यों 
दोष देता है 
ये गुरु हस्त तले 
और संगत में पलता  है 
                                      पल्लवी गोयल 
   











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