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हिंदी पल्लवी: विद्यालय
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साहित्यिकअंकुरण की यात्रा
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शनिवार, 7 नवंबर 2015
विद्यालय
भौरों की गुंजार ही ,
बगिया का संगीत है
रास्ते पर बिखरा मकरंद
यही मेरी धन संपत्ति है
2 टिप्पणियां:
जमशेद आज़मी
19 नवंबर 2015 को 8:40 pm बजे
बहुत सुंदर।
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पल्लवी गोयल
21 नवंबर 2015 को 8:46 pm बजे
आभार।
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बहुत सुंदर।
जवाब देंहटाएंआभार।
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