7607529597598172 हिंदी पल्लवी: एकता
एकता लेबलों वाले संदेश दिखाए जा रहे हैं. सभी संदेश दिखाएं
एकता लेबलों वाले संदेश दिखाए जा रहे हैं. सभी संदेश दिखाएं

मंगलवार, 5 नवंबर 2019

एक और एक ग्यारह


वैसे तो
एक और एक
मिल कर
दो बनता है ।
पर दो
की कोई
कहाँ सुनता है
आवाज बड़ी हो
तो दूर तक
जाती है ...
वरना छोटी तो
बस मक्खी
भिनभिनाती है ।

बेहतर है
 एक से एक
को मिलाओ
जोड़ा ग्यारह का
बनाओ ।
संख्या दो जुड़ेगी
 केवल एक मिलेगी
पर ताकत
 उसमें
दस और एक
की होगी ।

मर्जी तुम्हारी है
फायदा नुकसान
तुम्हारा है
किसे छोड़ो
किसे अपनाओ
फैसला भी
तुम्हारा है
 पर
एक को एक से
 गले लगाओ ।
एक को एक से
दूर
कदापि न भगाओ।

पल्लवी गोयल
चित्र गूगल से साभार 

सोमवार, 12 अगस्त 2019

हे हिंद वासियों! कश्मीर वासियों!


हे हिंद वासियों !कश्मीरी बंधुओं!
 तुम भारत का सिरमौर हो
सत्तर वर्षों की कड़ी तपस्या
 के तुम जीवित धैर्य  हो।

 सीमा पर होने के
तुमने असंख्य वार सहे हैं
अदृश्य रेखा के इस पार सही
हमने भी सब दुख देखे हैं।

अब जो मिटी है वह अदृश्य अभी
उसको दिल से भी हटा देना
हो बिछड़े हुए तुम बरसों के
तुम भी बाहें फैला देना

 बोए हुए इस पराएपन ने
बहुत से त्रास रचे हैं
न पराए तुम हो, ना पराए हम
हाथ मिलाकर है चलना

 जो तलवार उठेगी तुमपर
ढाल होगा यह गात भी
 भ्राता, बंधु अरे सहोदर
 दुख पर मरहम हाथ भी।

हाथ से हाथ मिला कर चलना
लिखना है इतिहास अभी।
जंग हुई तो साथ रहेंगे
अमन हुआ तो सुख  भोगेंगे

ईद ,दिवाली ,स्वतंत्र, गणतंत्र
त्योहार साथ मनाएंगे
राष्ट्र मान तिरंगे तले
राष्ट्रगान सब गाएंगे

 संविधान है एक हमारा
 अधिकार हमारे समान है
भारत की हर अंतिम सीमा
पर हम सबका अधिकार है!!!

पल्लवी गोयल
चित्र गूगल से साभार 

गुरुवार, 30 अप्रैल 2015

पहाड़ और गिलहरी


काले  पहाड़  और झबरीली  गिलहरी में
बहस  हुई एक  बार।
श्रेष्ठ  कौन है  तुच्छ  कौन,
गिलहरी  या  पहाड़।
पहाड़  बड़ा  सा  काला - काला,
गिलहरी  छुद्र  लाचार।
पूंछ  झबरीली , सुंदर , सुकोमल,
तीन  लहरें  काली  चमकदार।
गरज पहाड़  बोला  उस  छुद्र  से,
तू क्या क्या  कर  सकती कार्य।
मैं  बुलाता  बारिश  की  बूंदें,
खग  मृग  करते  मुझमें  वास।
मुझसे बनते मकान  अति सुन्दर,
मैं  हूँ  वह  अनन्त  अपार।
विहँस  बहुत  धीरे से बोली,
छुद्र  उठाती  विनय  का  भार।
भैया  पहाड़!  मैं  चढ़ती  इस  पेड़ पर,
तू  चढ़  दिखला  दे  एक  बार।