काले पहाड़ और झबरीली गिलहरी में
बहस हुई एक बार।
श्रेष्ठ कौन है तुच्छ कौन,
गिलहरी या पहाड़।
पहाड़ बड़ा सा काला - काला,
गिलहरी छुद्र लाचार।
पूंछ झबरीली , सुंदर , सुकोमल,
तीन लहरें काली चमकदार।
गरज पहाड़ बोला उस छुद्र से,
तू क्या क्या कर सकती कार्य।
मैं बुलाता बारिश की बूंदें,
खग मृग करते मुझमें वास।
मुझसे बनते मकान अति सुन्दर,
मैं हूँ वह अनन्त अपार।
विहँस बहुत धीरे से बोली,
छुद्र उठाती विनय का भार।
भैया पहाड़! मैं चढ़ती इस पेड़ पर,
तू चढ़ दिखला दे एक बार।