7607529597598172 हिंदी पल्लवी: प्रजातंत्र के रक्षक हो तुम

बुधवार, 30 अक्तूबर 2019

प्रजातंत्र के रक्षक हो तुम

प्रजातंत्र है जिम्मेदारी 
जन जन इसका है अधिकारी 
अधिकार जो तुमको है पाना
कुछ कर्म भी करते जाना 
समुद्र की गहरी हलचल में
हंस बनो इक मोती चुनो
चुनना तुम्हारा कर्म -धर्म है
तुम प्रजातंत्र के रक्षक हो।
पल्लवी गोयल 

6 टिप्‍पणियां:

  1. आपकी लिखी रचना ब्लॉग "पांच लिंकों का आनन्द" में गुरुवार 31 अक्टूबर 2019 को साझा की गयी है......... पाँच लिंकों का आनन्द पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!

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    1. आदरणीय,
      ब्लॉग में रचना शामिल करने के लिए बहुत -बहुत धन्यवाद।

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  2. हम सभी को प्रहरी बनना है इस प्रजातंत्र का ...
    अच्छी रचना है ...

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