प्रजातंत्र है जिम्मेदारी
जन जन इसका है अधिकारी
अधिकार जो तुमको है पाना
कुछ कर्म भी करते जाना
समुद्र की गहरी हलचल में
हंस बनो इक मोती चुनो
चुनना तुम्हारा कर्म -धर्म है
तुम प्रजातंत्र के रक्षक हो।
पल्लवी गोयल
7607529597598172
आपकी लिखी रचना ब्लॉग "पांच लिंकों का आनन्द" में गुरुवार 31 अक्टूबर 2019 को साझा की गयी है......... पाँच लिंकों का आनन्द पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!
जवाब देंहटाएंआदरणीय,
हटाएंब्लॉग में रचना शामिल करने के लिए बहुत -बहुत धन्यवाद।
हम सभी को प्रहरी बनना है इस प्रजातंत्र का ...
जवाब देंहटाएंअच्छी रचना है ...
आदरणीय,
हटाएंरचना पसंद करने के लिए आभार ।
सुंदर सार्थक रचना।
जवाब देंहटाएंबहुत बहुत धन्यवाद सखी।
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