प्रजातंत्र है जिम्मेदारी
जन जन इसका है अधिकारी
अधिकार जो तुमको है पाना
कुछ कर्म भी करते जाना
समुद्र की गहरी हलचल में
हंस बनो इक मोती चुनो
चुनना तुम्हारा कर्म -धर्म है
तुम प्रजातंत्र के रक्षक हो।
पल्लवी गोयल
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