7607529597598172 हिंदी पल्लवी: कर्म पथ का राही

शुक्रवार, 21 अगस्त 2015

कर्म पथ का राही


कर्म  पथ  का राही हूँ मैं
डगर डगर  हूँ  नापता
मंदिर, मस्जिद,  चर्च  गुरूद्वारा
न, कर्म  स्थल  को  हूँ जानता
कांटे  बिछे  हों  राह  में  तो
हँस  के  चल  पड़ता  हूँ मैं
फूलों की  राह  चुनकर
कब  होता है  कार्य  सुफल
एक  राह  मंदिर की  है
दूजी कर्म  स्थान  की
चुुनूँगा  मैं  कौन  सी
इसमें  नहीं ,  जरा  संदेह
 कर्म  सम्पन्न  होते  ही
ईश्वर  मिल  जाते  वहीं
अलग  से  क्यों  राह  चुनना
जब  लक्ष्य है  एक  ही।
पल्लवी  गोयल

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