7607529597598172 हिंदी पल्लवी: उम्मीद ; सपना ; तकदीर

रविवार, 18 मार्च 2018

उम्मीद ; सपना ; तकदीर

 
सूरज के तन से विलग हुआ एक कतरा था ,
सृजन की उम्मीद।


वहीं धुएँ सा पहली भाप का उड़ जाना था ,
रसधारा की उम्मीद।


नदी किनारे वह लिजलिजा,रेंगता पहला जीव था, 
जीवन की उम्मीद ।


नम सी  धरती  से उगता वह पहला कोंपल था,
हरियाली की उम्मीद ।


सूरज की किरणों का धरती पर पहुंचना ही है,
क्षुधा- पूर्ति की उम्मीद।


बूढ़े बाबा की गठरी में दबा वह सोने का हार है,
बेटी के ब्याह की उम्मीद।


कचरे के पहाड़ तले एक एक तिनका चुनता  बालक है,
बदलती तस्वीर की उम्मीद ।

स्लेट पर आड़ी तिरछी रेखा खींचते नन्हे- मुन्ने से है,
माँ-बाप को उम्मीद।

उम्मीदों पर टिका यह संसार बुनता नयी दुनिया,
अपने सपनों की।

उन सपनों को मशक्कत से जीकर इंसान बना लेता है,
अपनी तकदीर ।

पल्लवी गोयल 
चित्र गूगल से साभार 







3 टिप्‍पणियां:

  1. प्राकृति उम्मीद का ख़ज़ाना है ... हर हाल में आशा खोज लेना। ही प्रवृति है इंसान की ..

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